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कब हुआ….
कैसे हुआ...
कब ''उसके'' लिए बेचैन…..रहे लगे…..
कोई नहीं जान पता..
और जब हो जाता है तब बाकि बचा सारा संस्सर सूना - सूना सा लगने लगता है..
सिर्फ एक ही चाहत….
एक ही ज़िन्दगी..
एक ही..अहसास..
एक ही…ख़ुशी…..
एक ही….धुन….
एक ही ..सोच…. रह जाती है..
….''मेरा प्यार'' !!!!
प्यार करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यदि यह सिर्फ दिल बहलाने की बात है तो जरा संभल जायें..
किसी की भावनाओं से खिलवाड़ न करे..
इसका आपको कोई अधिकार नहीं मिला है….
दिल कोई खिलौना नहीं जो इससे खेला जाये…
किसी से नजदीकी बढाने से पहले यह जान लें की एक दूसरे के प्रति यह अहसास प्यार है की….छलावा !!!!
प्यार एक अहसास है जिसकी तरंगे दिल से जुडी होती हैं…
इसी लिए जब इस प्यार रुपी अहसास के साथ खिलवाड़ होता है तब वो तरंगे दिल में वाइब्रेशन करतीं हैं जिससे वो नॉर्मली वर्क करना बंद कर देता है,,
और दर्द का अहसास होता है…..
प्यार एक सुखद अनुभूति है और प्यार एक पवित्र रिश्ता होता हैं .....
प्यार के लिए जनहित में जारी......................
एक प्यार करने वाला .........
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